मीडिया की नैतिकता में छेद

टी.वी. न्यूज़ चैनल इस समय भारत की सबसे बड़ी समस्या बन गया है। सत्ता पक्ष में अपना ज़मीर बेच चुके मीडिया ने अपनी हदें लाँघ दी हैं। इनके द्वारा प्रतिदिन शाम का समय किसी ऐसी बहस को समर्पित किया जाता है जो देखने वालों का ब्लडप्रेशर बढ़ा देती है। उनके अन्दर नफरत का ऐसा सैलाब लाती है कि वह उनके विरोधियों को गालियाँ देते हैं। हो सकता है कि सामने आ जाएँ तो मार भी दें।

टीवी चैनल के एंकर और भाजपा के प्रवक्ता साथ मिलकर ऐसा नफरत भरा माहौल बनाते हैं कि किसी भी व्यक्ति भी व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है। वह बस एक ही दिशा में सोचता है और वह दिशा उन्हें गहरे अँधेरे तक ले जाती है। पूरे देश में घर रही घटनाएँ, दंगे, हत्याएँ, मोब लिंचिंग इसी का परिणाम है।

धर्मान्धता को इतने गहरे तरीके से भर दिया गया है कि उन्हें तर्क-वितर्क नहीं समझ नहीं आते। उन्हें बस वह झूठ ही याद रहता है, वह उसी बात पर कायम रहते हैं। काँग्रेस द्वारा किए गए जनहित के कार्यों को सिरे से नकारते हुए भाजपा और उसकी आईटी सेल द्वारा फ़ैलाए गए झूठ को मान लेते हैं। वह इस बात को जानते हैं कि जिस अस्पताल में वो पैदा हुए वह काँग्रेस ने बनाया है, जिस स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की वह काँग्रेस का बनाया गया है। जिस कंपनी में वो नौकरी करते हैं वह काँग्रेस की दें है। मगर फिर भी भाजपा के झूठ के जाल में फँसकर इन बातों को लोगों द्वारा नकार दिया जाता है।

देश में अभी कोरोना जैसी महामारी अपने चरम पर हैं, लोग मर रहे हैं, अस्पताल नहीं है, टेस्टिंग नहीं हो पा रही है, इसके अलावा और भी समस्याएँ हैं। मगर भारतीय टीवी मीडिया इन सब बातों पर बात न करते हुए सुशांत सिंह राजपूत वाले केस को खींचे जा रहा है। सुशांत सिंह राजपूत को अवश्य ही न्याय मिलना चाहिए। परन्तु सुशांत सिंह राजपूत के अलावा देश में प्रतिदिन लोग कोरोना से मर रहे हैं। हर रोज़ कहीं न कहीं कोई किसान आत्महत्या करता है। मगर मीडिया कभी उन बातों को सामने नहीं लाता। इस बात से साबित होता है कि भारतीय मीडिया कम से कम आम लोगों की चिंता तो नहीं करता है।

बुलंदशहर में बीते दिन छेड़छाड़ के कारण मेधावी छात्रा सुदीक्षा की मृत्यु हुई। उत्तर प्रदेश की यह पुत्री एक गरीब घर से है। अपनी मेहनत से अमेरिका से स्कालरशिप प्राप्त कर वह वहाँ पढ़ाई कर रही थी। कोरोना से बचने के लिए वह अमेरिका से उत्तर प्रदेश आई। वह कोरोना से तो बच गयी मगर उत्तर प्रदेश की लचर सुरक्षा व्यवस्था से वह नहीं बच पाई। मीडिया ने सुदीक्षा की मृत्यु को न तो तवज्जो दी, न ही न्याय की माँग की। क्योंकि यहाँ भाजपा की सरकार है।

काँग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजीव त्यागी जी की आज तक पर रोहित सरदाना के कार्यक्रम “दंगल” में भाग ले रहे थे। संबित पात्रा भाजपा की और से उस डिबेट में शामिल थे। उस डिबेट को देंखेंगे तो समझ आएगा कि वह डिबेट कितनी नफरत भरी थी। संबित पात्रा कुछ भी उल-जुलूल बक रहे थे, रोहित सरदाना उनका साथ दे रहे थे। अचानक उसी बहस में उनको हार्ट अटैक आया और वह परलोक सिधार गए। इस बात पर किसी ने बात नहीं की और न्यूज़ चैनल की फिर से वही बहस शुरू हो गयी। उनकी मृत्यु पर भी न तो कोई जांच होगी न कोई निर्णय आएगा। कोई बात तक नहीं करेगा।

कुल मिलाकर यह बात समझ आती है कि मीडिया पूर्ण रूप से बिक गयी है। अब वह जन की बात नहीं करती बल्कि प्रधानमन्त्री की तरह अपने मन की बात करती है।