“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।“ : नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आज पुण्यतिथि है। अंग्रेजी हुकूमत के विरूद्ध छिड़े स्वतंत्रता संग्राम के वह अग्रणी नेता थे। “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा” का नारा नेताजी ने ही दिया। इस नारे ने पूरे देश में क्रांति की एक चिंगारी छोड़ दी। देश के युवा आजादी के लिए आकर नेताजी की फ़ौज में शामिल होने लगे। जिन्होंने अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए

Jawaharlal Nehru with Subhas Chandra Bose


नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी एवं पंडित जवाहरलाल नेहरु की मित्रता को लेकर कई भ्रांतियाँ फैलाई जाती हैं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के सदस्य थे। वह इसके अध्यक्ष भी रहे। जवाहरलाल नेहरु और सुभाष चन्द्र बोस जी बहुत अच्छे मित्र थे। वह एक दूसरे का बहुत आदर करते थे। उनके विचार कई मामलों में बिलकुल एक हुआ करते थे।

1928 में जब मोतीलाल नेहरु जी ने ‘नेहरु रिपोर्ट’ पेश की तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी ने उस रिपोर्ट का विरोध कर पूरी स्वतंत्रता की माँग की। पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का इस विरोध में साथ दिया। वह नेहरु रिपोर्ट के मुद्दे पर अपने पिता पंडित मोतीलाल नेहरु के खिलाफ़ गए। कई वर्षों तक उनकी बातचीत बंद रही। इस प्रकार किसी विषय पर पंडित जी एवं नेताजी के एक जैसे विचार हुआ करते थे।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने नेताजी की बेटी का पूरा सहयोग किया। उनकी पढ़ाई पूरी कराने में अपना योगदान दिया। बिलकुल उसी प्रकार, जिस प्रकार सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के परिवार का उन्होंने साथ दिया।

Subhas Chandra Bose with Jawaharlal Nehru


मगर, आज सत्ता में बैठे लोग पंडित जवाहरलाल नेहरु जी को सुभाष चन्द्र बोस एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल का दुश्मन मानते हैं तथा गाँधी-नेहरु के अलावा सभी स्वतंत्रता सेनानियों को हाईजैक करने का प्रयास करते हैं। दरअसल इन लोगों के पास इनके स्वयं के कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं है। इनके पुरखों ने निर्णायक भारत छोड़ो आन्दोलन का पुरज़ोर विरोध किया। भारत के विभाजन की जितनी ज़िम्मेदारी मोहम्मद अली जिन्ना की है उतनी ही ज़िम्मेदारी विनायक दामोदर सावरकर की भी है।

चोरी-चोरी चुपके-चुपके यह सावरकर को अपना आदर्श मानते हैं। मगर पूरी दुनिया को दिखाने के लिए सुभाष चन्द्र बोस एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल के हितैषी बनकर पंडित नेहरु एवं गांधीजी के बारे में द्वेष फैलाते हैं। जो देश के लिए लड़ रहे थे उनको तोड़ने का प्रयास इनके पुरखों ने तब भी किया था। आज भी यह लोग उन्हें तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

मगर उन्हें यह बात समझनी होगी कि किसी भी प्रकार से उनकी दोस्ती को झुठलाया नहीं जा सकता।